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हरिहरपुरी का दुर्मिल सवैया



हरिहरपुरी का दुर्मिल सवैया


कहता चलता रघुनायक से, प्रभु ज्ञान सदा हमको अब दो।

अपने हिय में मुझको रखना, अपना अनुशासन मानस दो।

दिल में अनुराग तड़ाग बहे,अब प्रीति परस्पर का वर दो।

मन में बस आप बसें मन से, मुझमें शिव भाव सदा भर दो।

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1 Comments

Muskan khan

09-Jan-2023 06:14 PM

Nice

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